कहां रह गई उस मासूम की परवरिश में कमी? थाने में सामने खड़े माँ-बाप के साथ जाने से उस मासूम बच्ची ने जिस तरह इनकार किया वह हमें हैरान करने वाला था। यह बच्ची हमे ब्रह्माकुमारीज़ भोपाल के रोहित नगर सेंटर में रोती-बिसुरती, अल्प कपड़ों में ठंड से कंपकंपाती कल मिली थी। उसे इस हाल में पाकर हम हैरान थे।आखिर कौन थी वह बच्ची? किसी हादसे का शिकार तो नहीं हो गई थी?कैसे थे उसके माँ-बाप जो उससे बेखबर बने हुए थे । मैंने और सेंटर की बहनों ने उसे खूब दिलासा दी पर वह अपने बारे में कुछ भी बता नहीं पा रही थी। हम उसे लेकर आसपास के इलाकों में उसके माँ-बाप की तलाश में घंटों घूमे लेकिन कहीं कुछ पता नहीं लगा तब थक हार कर हम शाहपुरा थाने पहुंचे। यहाँ मैंने पुलिस इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह से आग्रह किया कि जब तक बच्ची के घरवाले नहीं मिल जाते उसे हमारे सेंटर में हमारी देखभाल में ही रहने दें, बहनें उसकी तब तक देखभाल कर लेंगी जब तक कोई मिल नहीं जाता । पुलिस सहमत हो गई। हम छह साल की बच्ची को अपने सेंटर में ले तो आए लेकिन उसे लेकर हमारी चिंताएं और शंकाएं कम नहीं हो रही थीं, अगर बच्ची के घरवाले नहीं मिले तो क्या होगा? हमने तय किया कन्या है अपने साथ रखकर परवरिश करेंगे। लेकिन ऐसी नौबत नहीं आई रात को थाने से खबर आ गई कि बच्ची के माँ-बाप मिल गए हैं लेकिन फिर हमारे सामने सबसे बड़ा सवाल यही था कि बच्ची माँ-बाप के साथ जाने को तैयार नहीं थी पुलिस का कहना था की उसे माँ – बाप के साथ भेजना ही ठीक होगा घंटों मनाकर हमने उसे माँ-बाप के साथ भिजवा तो दिया पर यह सवाल यथावत है कि बच्ची की परवरिश में आखिर कहां कमी रह गई जिसकी वजह से वह अपने माँ-बाप से इस नाजुक उम्र में ही दूरी बनाने लगी है, संतान को जन्म देना ही काफी नही होता उसकी परवरिश भी मायने रखती है। कहीं न कहीं, कोई न कोई बात तो है? जिसने उस बच्ची के बचपन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है । उस पर अभी से ध्यान देना होगा। खैर हम सब बहनों ने भगवान को धन्यवाद दिया कि उस कन्या को उसके माता- पिता से मिला दिया। om shanti.......